भैया जी ट्रेन से जा रहे थे जबलपुर
सामने की सीट पर एक भद्र
महिला बैठी थीं।
उनका 3 - 4 साल का लड़का उछल कूद मचाये हुए था।
नम्बरी उधमी बच्चा था। माँ के
कहने पे तो बिलकुल चुपता ही नहीं।
महिला ने भैया जी को कहा : थोड़ा आप डांट
दीजिये। शांत रहेगा।
भैयाजी : काय रे चुप्प रे मादरचोद !
बुरमारी के! अबकी चुप ! बेल्कुल
चुप ! नइ तो मैया चोद देहे।
अब सब शांत हैं। बच्चा भी
उसकी अम्मा भी।
और अगल बगल बैठे लोग भी।
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