आल नॉनवेज. फनी
दिल तोड़ने कि सजा नहीं मिलती;
दिल टूटने कि वजह नहीं मिलती;
माल तो बहुत फस जाते हैं, मेरे दोस्त;
बस उन्हे ठोकने कि जगह नहीं मिलती!
उनकी गली से गुज़रे, तो चौबारा नज़र आया;
उनकी गली से गुज़रे, तो चौबारा नज़र आया;
उसकी माँ बाहर आ कर बोली:
गांड फाड़ दूंगी भोसड़ी के, जो दोबारा नज़र आया!
निप्पल से टपक रहा है पसीना;
निप्पल से टपक रहा है पसीना;
भीगी हुई गांड और लथपथ सीना;
अब तुम्ही बताओ ग़ालिब;
इतनी गर्मी में कोई कैसे ठोके हसीना!
दिलबर के हमने प्यार से जो बूब दबा दिए;
ज़ारा गौर फरमाइये!
दिलबर के हमने प्यार से जो बूब दबा दिए;
भैन कि लौड़ी ने लात मार के हमारे गोटॆ सुजा दिए!
लंड कि आवाज़ को दमदार कहते हैं;
फटी चूत को बेकार कहते हैं;
सिर्फ छोड़ने का नाम मोहब्बत नहीं होता;
किसी कि यादों में मुट्ठ मारने को भी प्यार कहते हैं!
उनकी आँखों में आंसू और चेहरे पर हसी है;
वाह वाह! वाह वाह!
उनकी आँखों में आंसू और चेहरे पर हसी है;
ऐसा लगता है कि उनकी लुल्ली ज़िप में फसी है!
चाँद देखकर सितारे बने;
आसमान देखकर बादल बने;
नदी देखकर किनारे बने;
आपके कारनामे देखकर निरोध के कारखाने बने!
आज उसका दिल फिर दुखा दिया हमने;
अपने प्यार का क़र्ज़ चूका दिया हमने;
देकर लालच उससे कुल्फी का;
अँधेरे में अपना उस्ताद चूसा दिया हमने!
वोह आये हमारी कबर पे चल दिए मूत के;
चलो इसी बहाने दर्शन हो गए चूत के;
हैरलेस थी उनकी चिकनी चूत;
लेकिन अब क्या फायदा जब हम बन गए भूत!
तुफानो में छतरी नहीं खोली जाती;
ब्रा से पहले पैंटी नहीं खोली जाती;
'वियाग्रा' खाना शुरू कर, मेरे दोस्त;
क्यूंकि जुबां और ऊँगली से औरत नहीं चोदी जाती!
यारा तेरी यारी पे मुझे शक नहीं था;
वाह वाह!
पहले सुन्न तो ले भोसड़ी के!
यारा तेरी यारी पे मुझे शक नहीं था;
लेकिन सबने तेरी गांड मारी, क्या मेरा कोई हक़
नहीं था ...
सेक्स करते वक्त लड़की को हिचकी आई।
पप्पू: क्या हुआ, मैंने बहुत जोर से डाला क्या?
लड़की: नहीं रे चूतिये, जल्दी कर, और भी लोग याद
कर रहे हैं।
बॉर्डर पर लड़ाई शुरू हो गई।
संता: मेजर साहब, मैं दुश्मनों की माँ चोद दूंगा।
मेजर: भोसड़ी के, दुश्मन मारने हैं, पैदा नहीं करने।
सुहागरात पर दूल्हे ने दुल्हन की आँख को चूमा।
दुल्हन: यह क्या है?
दूल्हा बोला, "आँखें जिंदगी की किताब हैं"।
दुल्हन: नीचे लाइबरेरी में आग लगी है और तू किताब में
घुसा है।
लड़की मंदिर में प्रसाद लेकर पंडित के पैर छु कर बोली:
कोई ज्ञान की बात बताओ, पंडित जी! पंडित:
बेटी ब्रा पहना करो जब झुकती हो तो ध्यान और
ज्ञान दोनों की वाट लग जाती है...
Posted via Blogaway
No comments:
Post a Comment