Tuesday, January 27, 2015


����बदरू मियाँ को राह
चलती लड़कियों को छेड़ने का शौक है। एक
बार राँची में उन्होंने रत्नाबाई को छेड़
दिया। उसकी चाल देखकर कहा,
मटक-मटक कर चलती हो क्या मार डालोगी?
मुझे चूत नहीं दोगी तो क्या अचार डालोगी?
रत्नाबाई तो थी ही रंडी उसने कहा-
मटक-मटक कर चलती हूँ, चाल ही ऐसी है,
घर में जाकर अपनी बहन की ले ले मेरी जैसी है।
और याद रख गांडू शायर
सौ कमाती हूँ डेढ़ सौ उड़ाती हूँ,
तेरे जैसे कमीनों को चूत पर बिठाती हूँ।
बदरू मियाँ तो ठहरे पक्के हरामी, उन्होंने
तुरंत कहा-
अच्छा? सौ कमाती है और डेढ़ सौ उड़ाती है,
तो बाक़ी के पचास क्या माँ चुदाकर
लाती है ?


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