Saturday, January 17, 2015

.


अर्ज़ किया है:
रात भर आई नहीं और हम हिला-हिला कर यूँ
ही सो गए;
ज़रा गौर फरमाईये:
रात भर आई नहीं और हम हिला-हिला कर यूँ
ही सो गए;
.
.
.
.
.
जो हिला रहे थे वो था पंखा, जो आई
नहीं वो थी बिजली।
सालो कभी तो सीधा सोच लिया करो।


Posted via Blogaway

No comments:

Post a Comment